किससे कहानियां

बीती हुई गलतियां
सुधारने कोई नहीं आता
कम्बख़त को सुंदर शब्दों में लिख दो
पूरा सामाज तारीफों का पिटारा लिए
दौड़ा चला आता है
सुन कर मज़ाक भी बनाते हैं
लेकिन, पढ़ कर अफसोस नहीं जताते।
ज़ालिमों की बस्ती है, नालायकों का डेरा है।
जिसका दुःख है उसके ही पड़ोसी की कहानी है॥

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